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दक्षिण भारत का तंजावुर कभी शक्तिशाली चोल साम्राज्य की प्राचीन राजधानी हुआ करता था जिसके बाद ये मराठा और नायकों के अधीन आया। चूंकि यह प्राचीन काल के दौरान एक महत्वपूर्ण जीवंत शहर था इसलिए तंजावुर को देश का एक ऐतिहासिक स्थल माना जाता है, जहा आज भी प्राचीन मंदिर और अवशेष देखे जा सकते हैं। आज भी यहां कई साल पुराने धार्मिक स्थानों और मंदिर मौजूद हैं।
'चावल का कटोरा' कहा जाने वाला तंजावुर सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से काफी ज्यादा समृद्ध है, और यही वजह है कि यहां देश-दुनिया के सैलानी आत्मिक और मानसिक शांति के उद्देश्य से आते हैं। यह खबूसूरत शहर तमिलनाडु के राजधानी शहर चेन्नई से लगभग 380 किमी दूर है। इस खास लेख में जानिए पर्यटन के लिहाज से यह स्थान आपके लिए कितना खास है।
तंजावुर स्थित ब्रह्देदेश्वर मंदिर शहर के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है जो दक्षिण भारत के शक्तिशाली हिन्दू चोल राजवंश के राजा 'राजा चोल प्रथम' द्वारा बनवाया गया था। ये भव्य मंदिर दक्षिण भारतीय मंदिर वास्तुकला का सबसे उत्कृष्ट और जटील उदाहरण है। इस स्थल के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए इसे विश्व धरोहर घोषित कर दिया गया है।
इस मंदिर का निर्माण चोल साम्राज्य की जीत की खुशी में बनवाया गया था। यह विशाल और बेहद खूबसूरत मंदिर भगवाव शिव को समर्पित है। मंदिर की वास्तुकला देखने लायक हैं जहां आपको सैकड़ों शिव लिंग नजए आएंगे। मंदिर आकर्षक बगीचों से घिरा हुआ है।
तंजावुर स्थित भगवान शिव के भव्य मंदिरों में एयरवतेश्वर मंदिर का भी नाम शामिल है। यह एक प्राचीन मंदिर है जिसका संबंध पौराणिक काल से बताया जाता है। किवदंती के अनुसार इस मंदिर में भोलेनाथ के सफेद हाथी (वायुवता ) ने ऋषि दुर्वासा द्वारा दिए गए अभिशाप से छुटकारा पाने के लिए शिव जी की पूजा की थी।
इसके अलावा प्राण हरने वाले यमराज ने भी अपनी शारीरिक तकलीफों को दूर करने के लिए यहीं भोलेनाथ की पूजा की थी। इस विशाल मंदिर का भी निर्माण चोल राजाओं द्वारा करवाया गया था।
मंदिरों के अलावा आप यहां तंजावुर रॉयल पैलेस की सैर का आनंद ले सकते हैं। विजयनगर किले परिसर के अंदर स्थित यह रॉयल पैलेस दक्षिण नायक राजाओं का निवास स्थान हुआ करता था। काफी खूबसूरत और आकर्षक शैली में बना यह पैलेस यहां आने वाली सैलानियों के मध्य काफी ज्यादा लोकप्रिय है। महल परिसर के अंदर आप नायक हॉल, सरस्वती महल पुस्तकालय और दरबार हॉल जैसे स्थानों को देख सकते हैं।
नायक हॉल वह जगह है जहां चोल साम्राज्य के कलाकृतियां मौजूद हैं। इसके अलावा दरबार हॉल भी देखने लायक स्थान है जिसका निर्माण मराठों के करवाया था और सिंहासन चंदवा दर्पण से सजाया था। अगर आप तुंजावुर जाएं तो यहां की यात्रा का प्लान जरूर बनाएं।
तंजावुर के धार्मिक स्थानों की भव्यता खत्म नहीं होती, एक के बाद एक मंदिरों में आप यहां की प्रशंसनीय वास्तुकला का उदाहरण देख सकते हैं। आप यहां स्थित गंगाकोन्डा मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। गंगाकोन्डा मंदिर अपनी आकर्षक नक्काशी के लिए जाना जाता है। इस स्थल के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया जा चुका है।
इतिहास से जुड़े पन्ने बताते हैं कि यह मंदिर लगभग एक हजार साल पुराना है, जिसे तमिल इतिहास का एक अभिन्न अंग माना जाता है। धार्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन के लिहाज से यह स्थल बेहद खास है जहां का प्लान आप तंजावुर यात्रा के दौरान बना सकते हैं।
उपरोक्त स्थानों के अलावा आप यहां सेफोरजी सरस्वती महल पुस्तकालय की सैर का भी प्लान बना सकते हैं। सरस्वती महल पुस्तकालय तंजावुर रॉयल पैलेस परिसर के अंदिर स्थित है। यह एक संग्रहालय है जहां प्राचीन कलाकृतियों और पांडुलिपियों को संग्रहित किया गया है। इसके अलावा यहां उन उत्कृष्ट चित्रों को भी जगह दी गई है जिनके द्वारा आप मध्यकालीन भारत को समझ सकते हैं।
दक्षिण भारतीय इतिहास को करीब से जानने के लिए आप सेफोरजी सरस्वती महल पुस्तकालय की सैर का प्लान बना सकते हैं। ये थे तुंजावुर के चुनिंदा खास स्थान जिनकी सैर आप किसी भी समय कर सकते हैं।
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