इस राज्य में है दुनिया का सबसे अमीर मंदिर, इसके 7वें तहखाने में है अकूट खजाना, सांप करते हैं रखवाली

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तिरुअनंतपुरम . दुनिया का सबसे अमीर पद्मनाभ स्वामी मंदिर एक बार फिर चर्चा में है।  दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि मंदिर के मैनेजमेंट और रखरखाव की जिम्मेदारी त्रावणकोर रॉयल फैमिली ही संभालेगी। त्रावणकोर रॉयल फैमिली ने ही इस मंदिर का निर्माण किया था। केरल हाईकोर्ट के 2011 के आदेश को बदलते हुए सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने यह फैसला दिया। हाईकोर्ट ने मंदिर के रखरखाव की जिम्मेदारी राज्य सरकार को सौंपी थी।
 




पद्मनाभ स्वामी मंदिर को दुनिया का सबसे अमीर मंदिर कहा जाता है। फोर्ब्स के एक आंकलन के मुताबिक, मंदिर पर 75 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति है। यानी पाकिस्तान के बजट से 24 गुना ज्यादा। (पाकिस्तान ने 2019 में 7022 बिलियन पाकिस्तानी रुपए (यानी 3.30 लाख) रुपए का बजट पेश किया था।)

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यह मंदिर केरल के तिरुअनंतपुरम में स्थित है। मंदिक में भगवान विष्णु विराजमान हैं। यह देश के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में एक है। 



अब कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मंदिर का प्रशासन देखने के लिए एक समिति बनाई जाए। इसके अध्यक्ष जिला जज होंगे। समिति के सभी सदस्य हिंदू होंगे। 



पद्मनाभ स्वामी मंदिर की बात करें तो यह छठवीं सदी का बताया जाता है। हालांकि, मंदिर का निर्माण कब हुआ, इसे  लेकर कोई ठीक ठीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। मंदिर लगभग 5 हजार साल पुराना बताया जाता है। विद्वान बताते हैं कि मंदिर कलियुग की शुरुआत में बनाया गया। 

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हालांकि, मंदिर की सरंचना देख इसे 16वीं सदी का बताया जाता है। त्रावणकोर के राजाओं ने मंदिर का निर्माण कराया था। 1750 में महाराज मार्तंड वर्मा ने खुद को पद्मनाभ मंदिर का दास घोषित कर दिया था। इसके बाद से राजघराना ही मंदिर की सेवा कर रहा है। 


रेत का कण भी नहीं ले जाता राज परिवार
इतना ही नहीं राजघराने ने अपनी पूरी संपत्ति मंदिर को दान कर दी। मंदिर की संपत्ति या रोज होने वाली कमाई से राज परिवार एक पैसा तक नहीं लेता। यहां तक कि सदस्य जब मंदिर से घर जाते हैं तो वे पैरों में लगी रेत भी साफ कर देते हैं। यानी रेत का एक कण भी अपने साथ नहीं ले जाते। 

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दरवाजों की क्या है कहानी?
मंदिर में 7 तहखाने हैं। 9 साल पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 7 सदस्यीय टीम ने 5 दरवाजे खोले थे। मंदिर के दरवाजे कुल संपत्ति का पता लगाने के लिए खोले गए थे। इनमें करीब 2 लाख करोड़ रुपए के हीरे जेवरात मिले थे। इतना ही नहीं, सोने के हाथी, पिलर, मूर्तियां और 18 फीट लंबे हीरे के हार और सॉलिड नारियल मिले थे।




7वें दरवाजे की रक्षा करते हैं दो नाग
मंदिर का 7वां तहखाना अभी भी बंद हैं। बताया जाता है कि इस दरवाजे में ना तो कोई कुंडी है और ना ही कोई ताला। इस खजाने की रक्षा करते हैं दो सांप, जिनकी आकृतियां दरवाजे पर बनी हैं। इनकी इजाजत के बिना दरवाजा नहीं खुल सकता। 

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तहखाना खुला तो आ जाएगी प्रलय 
जब आखिरी तहखाना खुलने की बारी आई तो त्रावणकोर परिवार के मार्तंड वर्मा ने अपील की, इस रहस्य को रहस्य ही रहने दिया जाए। अगर दरवाजा खुला तो प्रलय आएगी। इससे पहले 1931 में भी दरवाजे को खोलने की कोशिश की गई थी, उस वक्त हजारों नागों ने तहखाने को घेर लिया था। लोगों को जान बचाकर भागना पड़ा था। इसी तरह का प्रयास 1908 में भी हुआ था। 


सुप्रीम कोर्ट ने आस्थाओं का ख्याल रखकर 7वां दरवाजा खोलने से रोक दिया। फोर्ब्स के मुताबिक, अगर दरवाजा खुलता है तो इसके पीछे इतनी अकूट दौलत है कि मंदिर की कुल संपत्ति 75 लाख करोड़ रुपए हो जाएगी। मौजूदा वक्त में मंदिर के पास 2 करोड़ की संपत्ति है।